रतलाम 20 अप्रैल। श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री प्रकाशमुनिजी मसा ने परमात्मा के जीवन से प्रेरणा लेने, धर्म को लक्ष्य बनाने और पुरूषार्थ करने का आव्हान किया है। उन्होंने कहा कि परमात्मा किसी भी जीव के प्रति अपे्रम नहीं रखते। उनके लिए सभी समान है। उनका उपदेश जीव मात्र के कल्याण के लिए है। परमात्मा के कार्यों की सफलता के पीछे उनका सबसे प्रेम का संबंध ही रहता है।
नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में प्रवचन के दौरान प्रवर्तकश्री ने जैसी दृष्टि-वैसी सृष्टि का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का नजरिया जैसा होता है, उसे सबकुछ वैसा ही दिखता है। परमात्मा की दृष्टि निर्मल होती है और सदैव हमारे लिए प्रेरणादायी रहती है। व्यक्ति जब राग-द्वेष से मुक्त होकर अनंत से जुडता है, तो उसकी दृष्टि निर्मल हो जाती है। उन्होंने कहा कि प्रेम और मोह में अंतर है। आत्मा से जुडना प्रेम है, जबकि शरीर से जुडना मोह होता है। आर्थिक, शारीरिक, मानसिक और पारिवारिक सुख-दुख सबके साथ जुडे रहते है। किसी को भी ये एक साथ नहीं मिलते। विडंबना है कि संसार में आजकल लोग किसी का अच्छा होता देखना पसंद नहीं करते और बुरा होते देखने में उन्हंे प्रसन्नता होती है। प्रत्येक व्यक्ति को इन भावों से निराकार रहकर परमात्मा के नजरिये से सबको देखने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि परमात्मा की दृष्टि ही हमे सदैव सुखी रखेगी।
प्रवचन में अभिग्रहधारी श्री राजेशमुनिजी मसा ने वर्षीतप पारणा महोत्सव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ 21 अप्रैल को भक्तामर पाठ से होगा। 22 एवं 23 अप्रैल को सागोद रोड स्थित श्री सौभाग्य तीर्थ में संत-साध्वीगण सहित 75 से अधिक तपस्वी अक्षय तृतीया पर वर्षीतप की आराधना पूर्ण कर पारणा करेंगे। उन्होंने धर्मावलंबियों से महोत्सव में अधिक से अधिक सहभागी बनने का आव्हान किया। इस दौरान पंडित रत्न श्री महेन्द्र मुनिजी मसा, श्री दर्शनमुनिजी मसा, पूज्य श्री अभिनंदन मुनि जी मसा एवं महासती श्री रमणीक कुँवर जी मसा, पूज्या श्री चंदना जी मसा, पूज्या श्री लाभोदया जी मसा, पूज्या श्री जिज्ञासा जी मसा पूज्या श्री चंदनबाला जी मसा, पूज्या श्री कल्पना जी मसा आदि ठाणा उपस्थित रहे। संचालन रखब चत्तर ने किया। अंत में प्रभावना का वितरण निर्मल कुमार-हीरालालजी मूणत परिवार द्वारा किया गया।