रतलाम 28 मई2023। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व महापौर शैलेंद्र डागा ने मेडिकल कॉलेज में जलप्रदाय को लेकर हो रही परेशानी और डोसीगांव क्षेत्र में बन रही आवास योजनाओं को देखते हुए गुणावद जलाशय योजना को शहर के लिए जरूरी बताया।
जारी बयान में पूर्व महापौर श्री डागा ने कहा कि गुणावद जलाशय योजना से हाथ खींचना नगर निगम की भूल है। श्री डागा ने कहा कि गुणावद जलाशय पेयजल का प्रमुख स्रोत है, जो पिछले 3 दशकों से अनदेखी का शिकार था। उनके महापौर कार्यकाल में उनके द्वारा गुनावद जलाशय से शहर को पानी देने के लिए योजना प्रस्तावित की गई थी, लेकिन तकनीकी कारणों से वह स्वीकृत नही हो पाई। उसके बाद जल निगम द्वारा गुनावद जलाशय को लेकर एक योजना बनाई गई जिसमें रतलाम ग्रामीण क्षेत्र के लाल पानी की समस्या से ग्रसित 14 गांव में नल जल योजना प्रस्तावित की गई।
गुनावद जलाशय नगर निगम के अधीन आता है इसलिए इस योजना में प्रस्तावित किया गया था कि यदि नगर निगम एक निर्धारित राशि इस योजना में खर्च करता है तो उसे भी प्रतिदिन 2 एमएलडी पानी प्रदान किया जाएगा। पूर्व में यह योजना 5 एमएलडी के हिसाब से बनी थी जिसमें से प्रतिदिन 2 एमएलडी पानी रतलाम शहर को मिलता।श्री डागा ने कहा कि इस योजना से नगर निगम में हाथ खींच लिए और निर्धारित राशि खर्च करने से इंकार कर दिया, जबकि उस दौरान एक उद्योग ने भी इस योजना में रुचि दिखाते हुए आधी राशि खर्च करने के लिए अपनी स्वीकृति दे दी थी। रतलाम नगर निगम के हाथ खींचने के बाद जल निगम द्वारा इस योजना को सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र के गांव में नल जल योजना के हिसाब से तैयार करते हुए 5 एमएलडी से कम कर 2.8 एमएलडी कर दिया।
श्री डागा ने कहा कि यदि नगर निगम इस योजना में शामिल रहता तो आज प्रतिदिन 2 एमएलडी पानी शहर को मिलता जिसमें से 1 एमएलडी पानी प्रतिदिन मेडिकल कॉलेज को दिया जा सकता था और शेष 1 एमएलडी पानी से डोसी गांव क्षेत्र में आ रही आवासीय योजना में वहां रहने वाले हजारों लोगों को पानी मिल सकता था। श्री डागा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन 1 एमएलडी पानी की ही आवश्यकता है जो गुणावद जलाशय के माध्यम से आसानी से पूरी हो सकती थी। वही भविष्य की जलापूर्ति की आवश्यकता को देखते हुए भी गुनावद जलाशय योजना शहर के लिए जरूरी थी।
श्री डागा ने बताया कि 1960 में नगर पालिका ने रतलाम शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए मलेनी नदी गुणावद जल संयंत्र का निर्माण कराया था। 1984 में जल संसाधन विभाग का धोलावड़ डैम तैयार होने के बाद पानी वहां से मिलने लगा और गुणावद योजना बंद हो गई थी।