GST की गड़बड़ी और गलती पर सख्ती तो ठीक है लेकिन सिर्फ व्यापारियों में ही सरकार को चोर और अपराधी दिख रहे हैं। ताजा बदलावों से यह बात साबित हो रही है कि व्यापार करना सरकार की नजर में सबसे बड़ा अपराध बन गया है। जीएसटी नेटवर्क को अब प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (PMLA) से जोड़ दिया गया है। ED को अधिकार दे दिया गया है कि वह GST के डाटा के आधार पर कार्रवाई करे।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने PML ACT-2002 में संशोधन कर GST नेटवर्क शब्द को शामिल कर लिया है। PML ACT तो अब तक देशद्रोह, अपराधों, ड्रग्स और अवैध आपराधिक तरीकों से धन कमाने के मामले में लगता रहा है। स्पष्ट है कि सरकार ऐसे गंभीर अपराधियों और देशद्रोहियों के तराजू में व्यापारियों को तोल रही है। हम केंद्र सरकार द्वारा उठाए इस कदम की न केवल निंदा बल्कि विरोध करते हैं। GST को किसी भी तरीके से PML Act में शामिल नहीं किया जाना चाहिये। सरकार इस निर्णय को वापस ले। यूं भी यह धारणा बनती रही है कि ED जैसी एजेंसी का उपयोग राजनीतिक प्रतिशोध के लिए किया जाता रहा है। व्यापार करना और GST की गलतियां आपराधिक कृत्य नहीं मानी जा सकती। सरकार के हर ऐसे कदम का व्यापारी जगत विरोध करता है।
मप्र कांग्रेस उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ इस निर्णय को वापस लेने की मांग करता है। जबकि GST एक्ट में कार्रवाई के अधिकार और पर्याप्त शक्तियां विभाग के पास मौजूद है तो इसे ED को व्यवसाय की गतिविधियों में शामिल कर व्यापार जगत को भयग्रस्त करना अनुचित ही नहीं अन्यायपूर्ण कृत्य है।
इस निर्णय को वापस नहीं लिया जाता तो प्रदेश और देश स्तर पर उग्र विरोध किया जाएगा। रतलाम कांग्रेस व्यापारिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष : विशाल डांगी