बेहतर स्वास्थ्य एवं कुशल जीवन के लिए स्वस्थ किडनी का होना बहुत जरूरी है क्योंकि किडनी रक्त की सफाई व शरीर के अवशेष को बाहर निकालने के लिए विशेष भूमिका अदा करती है अतः इसे दुरुस्त रखना अत्यावश्यक है।
किडनी खराब होने के लक्षण : रात्रि में बार बार पेशाब आना, पेशाब में झाग आना, लगातार खून की कमी, भूख ना लगना, बार बार उल्टी आना, शरीर में सूजन एवं दर्द का बने रहना कारण हो सकते हैं | अतः 40 वर्ष के बाद साल में एक बार संपूर्ण जांच कराना सुरक्षित जीवन के लिए जरूरी हो गया है| विशेषकर ब्लड प्रेशर एवं शुगर की जांच।
किडनी स्वस्थ रखने के उपाय
1 नवयुवकों में गुर्दे खराबी के अत्याधिक लक्षण एवं प्रत्यारोपण प्रकरण आ रहे हैं। उसके बचाव व उपचार संभव, सही समय पर सही ढंग से उपचार विशेषज्ञों द्वारा किया जाए।
2 खानपान एवं दैनिक योग व्यायाम जीवन शैली से इस रोग को आने से रोक सकते हैं।
3 अत्यधिक शुगर व नमक का सेवन ना करें।
भारतवर्ष में किडनी रोग से पीड़ित एक लाख से ज्यादा लोगों को डायलिसिस करवाना पड़ रहा है| अनेक लोग डायलिसिस सुविधा के अभाव में असमय काल ग्रस्त भी हो रहे हैं| लगातार डायलिसिस के कारण रोगी को दिल ,टीवी और घातक पीलिया बीमारी का खतरा सदैव बना रहता है|इन गंभीर बीमारियों के शरीर में आने से मरीज की मौत जल्दी हो जाती है|
रतलाम मेडिकल कॉलेज में संभागीय ऑर्गन प्रत्यारोपण प्राधिकार समिति सदस्य डीन डॉ जितेंद्र गुप्ता, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रभाकर नानावरे, मेडिसिन विभाग प्रभारी डॉक्टर महेंद्र चौहान, सर्जरी विभाग प्रभारी डॉ नीलम चार्ल्स, स्वयंसेवी संस्था काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के गोविंद काकानी, वेकअप कनेक्ट टू केयर वेलफेयर सोसाइटी की श्रीमती मनीषा ठक्कर एवं डॉ अतुल कुमार द्वारा अब तक 65 अंग प्रत्यारोपण के प्रकरण स्वीकृत किए गए हैं| जिसमें से 63 प्रकरण किडनी व दो प्रकरण लिवर प्रत्यारोपण के थे|इन 65 प्रकरणों में 55 पुरुषों एवं 8 महिलाओ के थे| लीवर प्रत्यारोपण के दोनों प्रकरण पुरुषों के रहे।
मां द्वारा पुत्र को किडनी देने का सराहनीय कार्य : रतलाम मेडिकल कॉलेज डीन डॉ जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि मरीज के तत्काल चिकित्सा आवश्यकता को देखते हुए आज बैठक में आए प्रकरण में भी भरत सिंह चावड़ा उम्र 39 वर्ष को माता फुलकुवर उम्र 64 वर्ष ने किडनी देने का सराहनीय कार्य किया| साथ ही बैठक में लगातार सराहनीय सहयोग देने वाले सभी सदस्यों की प्रशंसा की।
इन प्रकरणों को देखने के पश्चात बीमारी में पुरुष व दान में महिलाएं आगे यह सुनिश्चित हो जाता है की पुरुषों में अत्यधिक नशा, शराब का सेवन, दर्द निवारक गोलियों का सेवन देखने में आया है जिसके कारण उन्हें यह समस्या पैदा हुई|जहां तक किडनी दान देने का आता है तो सर्वाधिक किडनी महिलाओं ने दी है |पुरुषों का प्रतिशत बहुत कम है|जो कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं का परिवार चाहे मायका हो या ससुराल के प्रति त्याग, समर्पण स्पष्ट रूप से नजर आता है।
संभागीय ऑर्गन प्रत्यारोपण प्राधिकार समिति एवं जिला रोगी कल्याण समिति सदस्य गोविंद काकानी ने लोगों से किडनी रोग ना होने देने के लिए अत्यधिक शक्कर , नमक ना खाने, दर्द निवारक दवा का उपयोग आवश्यक होने पर ही लेने, मोटापे को शरीर पर हावी ना होने देने के लिए प्रतिदिन योग व्यायाम करने का आह्वान 9 मार्च विश्व किडनी ( गुर्दा ) रोग दिवस के उपलक्ष में किया है।