जैनम बाल युवा संस्कार शिक्षण शिविर के प्रथम दिन सर्व प्रथम सभी बच्चो को प्रातः वन्दना करवाई गई फिर सभी बच्चो को तीन अलग अलग कक्षा में विभाजित कर उम्र के अनुसार बच्चों को प्रशिक्षण दिया गया।
सबसे छोटे 3 से 6 वर्षों के बच्चो को णमोकार मन्त्र व अन्य कविताएँ पढ़ाई गई, 7 से 10 वर्षों के बच्चो को परमेष्ठी की विस्तृत जानकारी व उनके मूल गुण को समझाया गया, व 11 वर्ष के बच्चों से लेकर 60 साल के बुजुर्ग तक एक कक्षा लगाई गई जिसमें श्रावकों के षट आवश्यक व उसमे प्रमुख दान धर्म की महत्वता को समझाया गया।
सभी बच्चो को प्रोजेक्टर के द्वारा वीडियो के माध्यम से विस्तृत वर्णन किया गया। तत्पश्चात बच्चो को स्वल्पाहार कराया गया जिसके आज के पुण्यार्जक श्रीमान ओमप्रकाश जी अरिहंत जी मोठीया परिवार थे।
मण्डल अध्यक्ष निविता गंगवाल, प्रति गोधा ,नेहा अग्रवाल के निरिक्षण में उसके बाद बच्चो की आर्ट व क्राफ्ट की क्लास लगाई गई जिसमें बच्चो को दान के संस्कार के बीजा रोपण के उद्देश्य से मिट्टी की गुल्लक प्रदान की गई जिसमें आकृति शाह द्वारा बच्चो को उसमे आकर्षक तरह से कलर करना सिखाया गया , कक्षाओं में विशेष सहयोग सरोज चत्तर, भावना गोधा, सलोनी बड़जात्या,अर्पिता पाटनी, राधा पोरवाल, स्वीटी सेठ, जयता मोठिया, रंजना गर्ग आदि का रहा।
शाम को भी बच्चों को खेल खेल में धर्म संस्कार खेल खिलवाया जाएगा, व जयदीप भैयाजी व अभिषेक भैयाजी द्वारा पुनः पशिक्षण दिया जाएगा कि कैसे इस सृष्टि की रचना हुई व कैसे युग परिवर्तन व काल परिवर्तित होता है