प्रिय पाठकों ? ये कलयुग है यहां अब सब कुछ हो सकता हैं । हमारे समय में यदि मोहल्ले में कोई बीमार पड़ जाता था तब खबर मिलते ही हर कोई हाल चाल पूछने चला जाता था औऱ आज के कलयुगी इंसान की तो बात ही निराली हैं । आज कोई बीमार का पता लग जाये तो मुह मोड़ लेते है । इसको इस ख़ास उदाहरण के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं । कुछ ही बिरले लोगों को छोड़कर ।
उदाहरण :यदि कही रोड पर कोई बीमार , लाचार , दिव्यांग , बेसहारा, दिखे , या एक्सीडेंट में कोई इंसान सड़क पर मिले तो सबसे पहले वह अपना मोबाइल निकालकर उसका वीडियो बनाएगा फ़िर तत्काल इंस्टाग्राम , व फेसबुक पर लाइव आकर दिखायेगा , मानो उसने कोई अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीत लिया हो । मेरी नज़र में ऐसे लोग बेवकूफ की श्रेणी में आते है ।
ऐसे समय इंसान का कर्तव्य : ऐसे समय मे आपको तत्काल एम्बुलेंस व पुलिस कंट्रोल रूम को बताना है । एम्बुलेंस या पुलिस फोर्स के आने में किसी कारण देरी हो रही हो तो किसी भी साधन से उसे नजदीकी अस्पताल भिजवाना चाहिए ताकि उस घायल की जान बच सकें , जो कि सबसे बड़ा मानव धर्म है उसे हर नागरिक को निभाना है ।
चलो अब मूल टॉपिक पर बात करते हैं : एक पढा लिखा व्यक्ति अपने वृद्ध पिता को वृद्धा आश्रम छोड़कर आता है । वही ग़रीब व्यक्ति अपने घर पर साथ रखता हैं ।
कुछ समय बाद आश्रम से उस अर्थात ( नालायक़ ) पुत्र के पास खबर आती हैं कि आपके पिता की तबीयत बहुत ख़राब है आपके पिता का अंतिम समय चल रहा है व आपको याद कर रहे है , तब यह बात नालायक़ पुत्र ने अपनी पत्नी को बताई तो पत्नी के पास समय नही था । साथ ही अक्सर बहुओं के सास ,ससुर उनके लिए बोझ होते है व दूसरी बात की वह अपने बच्चों में इतनी मस्त थी , की उसे भविष्य का पता नही होता है कि उसके साथ भी ऐसा हो सकता हैं , क्योंकि ? ये कलयुग हैं पाठकों यहां सब कुछ सम्भव हो सकता है । इस कारण पुत्र अकेला ही आश्रम पहुँच गया ।
अब पिता पुत्र का शिक्षा प्रद संवाद :
1, प्रश्न पुत्र का पिता से :आपकी कोई अंतिम इच्छा
हो तो बताइए ।
उत्तर पिता का : बेटा आप यहाँ कूलर लगवा दो , गर्मी में रात भर सो नही पाता हूँ ।
2 , प्रश्न पुत्र का पिता से :पापा आपने इतने साल बिना कूलर के बिता दिए औऱ अब आप कूलर के लिए कह रहें हैं ।
उत्तर पिता का जो कि बहुत ही मार्मिक हैं व सन्सार में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाने योग्य : पिता ने बेटे के सिर पर हाथ रखकर औऱ रुंधे गले से कहा बेटा में अपने लिए यह नही कह रहा हु क्योंकि में तो गर्मी सहन कर सकता हूँ लेकिन जब आपके बच्चे आपको यहाँ छोड़कर जाएंगे तो आप यहां की गर्मी को सहन नही कर सकोगें ।
शिक्षा : एक बेबस पिता ने अपने बच्चे को आख़री समय पर भी उसका बुरा नही सोचा बल्कि उसे आगाह किया है । इस संदेश को भी स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाना चाहिए । वही दूसरी औऱ इसका गहराई से अर्थ यह है कि बाप तो बाप होता है , उसके पास अपने बच्चे के जन्म से लेकर बड़े होने तक उसे जो घाव लगतें है जो दिखाई तो नही देते है परन्तु उसके पास उन घावों का भंडार होता है । बाप अपने परिवार व बच्चों के लिए हर ज़ख्म झेलने को तैयार रहता है । वह अपने पुत्र को सन्देश देकर जा रहा है कि ऐसा तेरे साथ भी हो सकता है , सन्सार वालों बाप को ज़ख्म मत दो , वह उम्र दराज होने तक कई ज़ख्म सहन कर चुका हैं । वह जिंदगी भर तक आपको पालते पालते नही थका है , औऱ वो लोग जो अपने बाप को बोझ समझकर वृद्धा आश्रम छोड़कर आ गए हो अपने साथ वापस ले आवो ।
में आज उन लोगों को यह मार्मिक सन्देश देना चाह रहा हूँ कि अपने अपने माता पिता की इज़्ज़त करो , क्योंकि ईश्वर के बाद ये ही पूज्यनीय होते है । किसी को मेरे शब्द तीर की भांति दिल मे चुभे , गहरे ज़ख्म दे , व बुरा लगे तो क्षमा करना ।
अब्दुल रशीद शेख़ लाचार पिताओं की औऱ से पत्रकार पुलिस सर्विलांस , दबंग भोपाल न्यूज़ , दबंग केसरी व रिटायर्ड टी आई इंदौर 9827230419 जय हिंद जय भारत 🇮🇳