भगवान महावीर का संदेश अहिंसा के पथ पर चलकर भी आत्मरक्षा के गुण जरूरी

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जैनम बाल संस्कार शिक्षण शिविर में बच्चों को सर्वप्रथम णमोकार मंत्र द्वारा सुरक्षा कवच बनाकर प्रशिक्षण की शुरुआत की गई अध्य्क्ष निविता गंगवाल ने बताया कि बच्चों को आज पांच इंद्रियों के बारे में बताया गया। कैसे जीव अपने पांचों इन्द्रिय पर स्पर्श, रसना , घ्राण, चक्षु व कर्ण से जानता व देखता है।

उसके बाद बच्चों को जीव के भेद के बारे में बताया गया जीव संसारी व मुक्त दो प्रकार के होते हैं उसके बाद गेंदालाल महेंद्र मोठीया द्वारा बच्चों को स्वल्पाहार करवाया गया उसके बाद प्रतिदिन की तरह बच्चों की आर्ट क्लास में ब्लैक बेल्ट महिमा पितलिया द्वारा बच्चों को जूडो, कराटे ,मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी गई उन्होंने बताया कि कैसे विपरीत परिस्थिति में आक्रमण से पहले आत्मरक्षा करना आना चाहिए ।

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भगवान महावीर ने भी अहिंसा का उपदेश देते हुए यही बताया था कि कभी भी धर्म रक्षा व आत्मरक्षा करना हिंसा नहीं है सचिव प्रीति गोधा व कोषाध्यक्ष नेहा अग्रवाल ने बच्चों को जीव दया का उपदेश भी दिया गया उसको पालन करने के उद्देश्य से सबको सकोरे वितरण विकास जैन द्वारा किया गय।

शिविर में अर्पण गंगवाल, संजय गोधा , मनोज अग्रवाल , पीयूष गर्ग , सरोज चत्तर, टीना गांधी, स्वीटी सेठ, अर्पिता पाटनी, जयता मोठीया, रेखा बाकलीवाल , रंजना गर्ग , पुष्पा पोरवाल आदि उपस्थित रहे ।

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