रतलाम 19 अप्रैल। आत्मा की शक्ति के सामने कोई शक्ति प्रमाणित नहीं है। आत्मा अनंत शक्ति का पुंज और भण्डार है। आत्म शक्ति को जगाने के लिए सदगुरू का सानिध्य जरूरी है। प्रभु की वाणी आत्मा को जागृत करने में सहायक है।
यह बात श्रमणसंघीय प्रवर्तक श्री प्रकाशमुनिजी मसा ने नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में प्रवचन देते हुए कही। उन्होंने कहा कि परमात्मा भी संसार में आत्मबल से जीते है। आत्मबल नहीं हो, तो कोई बल काम नहीं करता। साधक जब साधना के क्षेत्र में उतरता है, तो वहां भी संग्राम जैसी स्थिति ही होती है। आत्म बल नहीं होने पर साधना भी सफल नहीं होती। सैनिक और साधु कफन साथ लेकर चलते है। दोनो को ही पता नहीं होता कि कब जिदंगी की शाम हो जाए। उनके काम भी सिर्फ आत्मबल ही आता है।
प्रवर्तकश्री ने कहा कि साधक वहीं होता है, जो किसी भी परिस्थिति में नहीं घबराता। प्रत्येक मनुष्य को साधक बनने का प्रयास करना चाहिए। संसार में नाम उसी का चलता है, जिसकी पुण्यवानी होती है। तीर्थंकरों का नाम भी पुण्यवानी से ही हुआ। आज संसार मे ंनाम के झगडे होते है,लेकिन वास्तव में नाम उसी का होता है, जिसकी पुण्यवानी रहती है। पुण्यवानी नहीं हो, तो पुत्र, पिता की और पत्नी, पति की सेवा नहीं करती। इसलिए सबकों आत्मबल मबजूत कर साधक के रूप में पुण्य अर्जित करने चाहिए।
प्रवचन के आरंभ में अभिग्रहधारी श्री राजेशमुनिजी ने वर्षीतप पर प्रकाश डाला। इससे पूर्व खाचरौद से विहार पश्चात पंडित रत्न श्री महेन्द्र मुनिजी मसा का वर्षीतप पारणा महोत्सव के लिए मंगल प्रवेश हुआ। प्रवचन के दौरान श्री दर्शनमुनिजी मसा, पूज्य श्री अभिनंदन मुनि जी मसा एवं महासती श्री रमणीक कुँवर जी मसा, पूज्या श्री चंदना जी मसा, पूज्या श्री लाभोदया जी मसा, पूज्या श्री जिज्ञासा जी मसा पूज्या श्री चंदनबाला जी मसा, पूज्या श्री कल्पना जी मसा आदि ठाणा उपस्थित रहे। संचालन सौरभ मूणत ने किया। प्रभावना का वितरण रेखा बहन-मिलन मेहता की स्मृति में कमलाबाई-दीपचंद गांधी परिवार द्वारा किया गया।